सोमदत्त शास्त्री
मध्यप्रदेश में सरकार बनाने, चलाने और अपने ही हाथों उसे गिराने वाले दो मुख्य किरदार बड़े मियां, छोटे मियां अर्थात कमलनाथ और दिग्विजय सिंह इन दिनों बदनामी का ठीकरा फोड़ने के लिए किसी मजबूत सिर की तलाश में हैं तो उधर कांग्रेस के उन बाइस 'विभीषणों' की रातों की नींद उड़ी हुई है, जिनके सामने दो महीने पहले कमलनाथ सरकार के तमाम रथी, महारथी घुटने टेके गिड़गिड़ा रहे थे। इन सबमें से कुछ ने मंत्री पद के साथ अपनी साख या विश्वसनीयता भी गंवा दी है। इनमें से अधिकांश के पास अब तक भाजपा के आश्वासनों के अधिक कुछ भी नहीं है। भाजपा की सरकार में इन सबका एक साथ मंत्री बन पाना असंभव ही नहीं नामुमकिन है। फर्ज करिए कि इनमें से अधिकांश के सिरों पर मंत्री पद के दर्शनी ताज अगर सजा दिए जाते हैं तब इनकी वास्तविक अग्निपरीक्षा इनके विधानसभा क्षेत्रों में होगी, जहां कांग्रेस के पुराने दोस्तों से इन्हें दो-दो हाथ करना होगा। क्या इनमें से अधिकांश की वापसी आसान होगी? यह एक बड़ा सवाल हैबहरहाल, शिवराज सिंह कैबिनेट में विस्तार की खबरों से खाली हाथ सड़क पर ठगे खड़े इन 'विभीषणों' की उम्मीदों पर पंख लगा दिए हैं। सवाल यह है कि भाजपा अपने महारथियों का माथा सहलाएगी या इन पूर्व विधायकों को पुचकारेगी। अभी तक ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमें से दो बडे चेहरे गोविंद राजपूत और तुलसी सिलावट मंत्री बनने में कामयाब रहे हैं, लेकिन इमरती देवी, महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रद्युम्न सिंह तोमर, प्रभुराम चौधरी का क्या होगा, जिन्होंने भाजपा की सरकार बनवाने अपने-अपने मंत्री पदों की हंसते-हंसते कुर्बानी दी है। इनके अलावा एंदल सिंह कंसाना, हरदीप डंग, बिसाहूलाल सिंह, राज्यवर्धन दत्तीगांव जैसे भारी भरकम चेहरे भी कतार में हैं। अभी केवल 22 स्थान खाली हैं, लेकिन हालात एक अनार सौ बीमार से अधिक जदा नहीं।
20 मार्च को गिरीथी कमलनाथ सरकार
सिंधिया समर्थक 22 विधायकों के इस्तीफे के कारण कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई थी। 20 मार्च को कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में चौथी बार शपथ ली थी। शिवराज ने शपथ लेने के 28 दिन बाद 21 अप्रैल को मंत्रिमंडल का गठन किया। इसमें 5 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई।
15 से ज्यादा सीटें जीतेगी कांग्रेस
मध्य प्रदेश उपचुनाव को लेकर भी कमलनाथ ने कइ दाव किए। कहा, यह आकड़ा का खेल हैअभा हमारे पास 92 विधायक और उनके पास 107 हैं। 24 सीटों के लिए उपचुनाव होने हैं। इसमें कम से कम 15 सीटें भाजपा के बराबर आने के लिए जीतनी होंगी। बाकी 7 विधायकों का काम 4 निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा मिलकर करेंगे। स्थितियां अभी ऐसी हैं कि हम 15 से ज्यादा सीटें जीतेंगे।